Not known Facts About Shodashi

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The day is noticed with wonderful reverence, as followers stop by temples, give prayers, and engage in communal worship functions like darshans and jagratas.

The picture was carved from Kasti stone, a rare reddish-black finely grained stone utilized to manner sacred images. It absolutely was brought from Chittagong in existing day Bangladesh.

Her illustration is not static but evolves with inventive and cultural influences, reflecting the dynamic character of divine expression.

यदक्षरैकमात्रेऽपि संसिद्धे स्पर्द्धते नरः ।

केवल आप ही वह महाज्ञानी हैं जो इस सम्बन्ध में मुझे पूर्ण ज्ञान दे सकते है।’ षोडशी महाविद्या

तां वन्दे नादरूपां प्रणवपदमयीं प्राणिनां प्राणदात्रीम् ॥१०॥

यह शक्ति वास्तव में त्रिशक्ति स्वरूपा है। षोडशी त्रिपुर सुन्दरी साधना कितनी महान साधना है। इसके बारे में ‘वामकेश्वर तंत्र’ में लिखा है जो व्यक्ति यह साधना जिस मनोभाव से करता है, उसका वह मनोभाव पूर्ण होता है। काम की इच्छा रखने वाला व्यक्ति पूर्ण शक्ति प्राप्त करता है, धन की इच्छा रखने वाला पूर्ण धन प्राप्त करता है, विद्या की इच्छा रखने वाला विद्या प्राप्त करता है, यश की इच्छा रखने वाला यश प्राप्त करता है, पुत्र की इच्छा रखने वाला पुत्र प्राप्त करता है, कन्या श्रेष्ठ पति को प्राप्त करती है, इसकी साधना से मूर्ख भी ज्ञान प्राप्त करता है, हीन भी गति प्राप्त करता है।

For anyone nearing the pinnacle of spiritual realization, the final phase is referred to as a point out of finish unity with Shiva. Here, personal consciousness dissolves in to the common, transcending all dualities and distinctions, marking the fruits on the spiritual odyssey.

It truly is need that turns the wheel of karma,  and that retains us in duality.  It truly is Shodashi who epitomizes the  burning and sublimation of such desires.  It really is she who lets the Performing away from aged  karmic styles, leading to emancipation and soul freedom.

॥ अथ श्री त्रिपुरसुन्दरीवेदसारस्तवः ॥

हंसोऽहंमन्त्रराज्ञी हरिहयवरदा हादिमन्त्रार्थरूपा ।

The noose symbolizes attachments, Whilst the goad represents contempt, the sugarcane bow shows wishes, and also the flowery arrows signify the five sense organs.

इसके अलावा त्रिपुरसुंदरी देवी अपने click here नाना रूपों में भारत के विभिन्न प्रान्तों में पूजी जाती हैं। वाराणसी में राज-राजेश्वरी मंदिर विद्यमान हैं, जहाँ देवी राज राजेश्वरी(तीनों लोकों की रानी) के रूप में पूजी जाती हैं। कामाक्षी स्वरूप में देवी तमिलनाडु के कांचीपुरम में पूजी जाती हैं। मीनाक्षी स्वरूप में देवी का विशाल भव्य मंदिर तमिलनाडु के मदुरै में हैं। बंगाल के हुगली जिले में बाँसबेरिया नामक स्थान में देवी हंशेश्वरी षोडशी (षोडशी महाविद्या) नाम से पूजित हैं।

, the creeper goddess, inferring that she is intertwined with her legs wrapped all around and embracing Shiva’s legs and entire body, as he lies in repose. As being a digbanda, or protecting pressure, she policies the northeastern way from whence she presents grace and protection.

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